एक बहरी महिला

किसी धनी आदमी की एक युवती पत्नी थी, जो वज्र बधिर थी। एक दिन प्रातःकाल जब वे लोग नाश्ता कर …

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जहांआरा

यमुना के किनारे वाले शाही महल में एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ है, केवल बारबार तोपों की गड़गड़ाहट और अस्त्रों …

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गुलाम

फूल नहीं खिलते हैं, बेले की कलियां मुरझाई जा रही हैं. समय में नीरद ने सींचा नहीं, किसी माली की …

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अशोक

पूत सलिला भागीरथी के तट पर चंद्रालोक में महाराज चक्रवर्ती अशोक टहल रहे हैं. थोड़ी दूर पर एक युवक खड़ा …

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चित्तौर उद्धार

दीपमालाएं आपस में कुछ हिलहिल कर इंगित कर रही हैं, किंतु मौन हैं. सज्जित मंदिर में लगे हए चित्र एकटक …

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गरुड़ और चकवा

एक ऊंचे पर्वत की चट्टान पर एक गरुड़ और चकवा की भेंट हुई। चकवा ने कहा, “नमस्कार, श्रीमान् ।” गरुड़ …

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सिकंदर की शपथ

सूर्य की चमकीली किरणों के साथ, यूनानियों के बरछे की चमक से ‘मिंगलौर‘ दुर्ग घिरा हुआ है. यूनानियों के दुर्ग …

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गुप्त प्रेम

मध्यरात्रि के समय अपने शयन-कक्ष में राचेल जाग उठी और आकाश में एक अदृश्य वस्तु को निहारने लगी। उसने जीवन …

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हृदय-रहस्य

एक भव्य भवन रात्रि की नीरवता के पंखों के साए में इस तरह स्थित था, मानो मृत्यु के खोल में …

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शरणागत

प्रभात कालीन सूर्य की किरणें अभी पूर्व के आकाश में नहीं दिखाई पड़ती हैं. ताराओं का क्षीण प्रकाश अभी अंबर …

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