करुणा की विजय
संध्या की दीनता गोधूलि के साथ दरिद्र मोहन की रिक्त थाली में धूल भर रही है. नगरोपकंठ में एक कुएं …
भारतीय हिन्दी साहित्य में जयशंकर प्रसाद अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। ये श्रेष्ठ कवि व श्रेष्ठ नाटककार होने के साथ-साथ श्रेष्ठ कथाकार भी थे। इन्होंने अपने जीवनकाल में तीन उपन्यासों व पांच कहानी संग्रहों सहित तीस ग्रन्थों की रचना की। इनके पांच कहानी संग्रहों में सत्तर कहानियां प्रकाशित हुई हैं। ये कहानियां ऐतिहासिक, मनोवैज्ञानिक, भावात्मक, प्रतीकात्मक, स्वछन्दतापरक, यथार्थपरक तथा आदर्शमूलक सिद्धान्तों व परिवेश पर आधारित हैं। क्षमा, शांति, धैर्य, अक्रोध, आत्मसंयम, पवित्रता, इन्द्रियनिग्रह, सत्य, सदाचार, जातीय सम्मान,राष्ट्र रक्षा, आतिथ्य, त्याग, दानशीलता, परोपकार, आज्ञापालिता आदि गुणों से भरपूर प्रसाद जी की सर्वश्रेष्ठ कहानियों से संवरा यह संकलन आपको अवश्य ही पसंद आयेगा, ऐसा पूर्ण विश्वास है।
संध्या की दीनता गोधूलि के साथ दरिद्र मोहन की रिक्त थाली में धूल भर रही है. नगरोपकंठ में एक कुएं …
सामने संध्या से धूसरित जल की एक चादर बिछी है. उस के बाद बालू की बेला है, उस में अठखेलियां …
काशी के घाटों की सौध श्रेणी जाह्नवी के पश्चिम तट पर धवल शैल माला-सी खड़ी है। उनके पीछे दिवाकर छिप …