चक्रवर्ती का स्तंभ
“बाबा यह कैसे बना? इस को किस ने बनाया? इस पर क्या लिखा है?” सरला ने कई सवाल किए. बूढ़ा …
भारतीय हिन्दी साहित्य में जयशंकर प्रसाद अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। ये श्रेष्ठ कवि व श्रेष्ठ नाटककार होने के साथ-साथ श्रेष्ठ कथाकार भी थे। इन्होंने अपने जीवनकाल में तीन उपन्यासों व पांच कहानी संग्रहों सहित तीस ग्रन्थों की रचना की। इनके पांच कहानी संग्रहों में सत्तर कहानियां प्रकाशित हुई हैं। ये कहानियां ऐतिहासिक, मनोवैज्ञानिक, भावात्मक, प्रतीकात्मक, स्वछन्दतापरक, यथार्थपरक तथा आदर्शमूलक सिद्धान्तों व परिवेश पर आधारित हैं। क्षमा, शांति, धैर्य, अक्रोध, आत्मसंयम, पवित्रता, इन्द्रियनिग्रह, सत्य, सदाचार, जातीय सम्मान,राष्ट्र रक्षा, आतिथ्य, त्याग, दानशीलता, परोपकार, आज्ञापालिता आदि गुणों से भरपूर प्रसाद जी की सर्वश्रेष्ठ कहानियों से संवरा यह संकलन आपको अवश्य ही पसंद आयेगा, ऐसा पूर्ण विश्वास है।
“बाबा यह कैसे बना? इस को किस ने बनाया? इस पर क्या लिखा है?” सरला ने कई सवाल किए. बूढ़ा …
श्यामसुंदर ने विरक्त हो कर कहा, “कला! यह मुझे नहीं अच्छा लगता.” कलावती ने लैंप की बत्ती कम करते हुए, …
जब बसंत की पहली लहर अपना पीला रंग सीमा के खेतों पर चढ़ा लाई, काली कोयल ने उसे बरजना आरंभ …
नवल और विमल दोनों बात करते हुए टहल रहे थे. विमल ने कहा “साहित्य सेवा भी एक व्यसन है.” “नहीं …
घने हरे कानन के हृदय में पहाड़ी नदी झिरझिर करती बह रही है. गांव से दूर, बंदूक लिए हुए शिकारी …
“आज तो भैया, मूंग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है. मैं तो…” …
“साईं! ओ साईं!!” एक लड़के ने पुकारा. साईं घूम पड़ा. उस ने देखा कि एक 8 वर्ष का बालक उसे …
दीर्घ निःश्वासों का क्रीड़ा स्थल, गरमगरम आंसुओं का फूटा हुआ पात्र! कराल काल की सारंगी, एक बुढ़िया का जीर्ण कंकाल, …