अघोरी का मोह

“आज तो भैया, मूंग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है. मैं तो…” …

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गूदड़ साईं

“साईं! ओ साईं!!” एक लड़के ने पुकारा. साईं घूम पड़ा. उस ने देखा कि एक 8 वर्ष का बालक उसे …

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गुदड़ी में लाल

दीर्घ निःश्वासों का क्रीड़ा स्थल, गरमगरम आंसुओं का फूटा हुआ पात्र! कराल काल की सारंगी, एक बुढ़िया का जीर्ण कंकाल, …

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वह स्त्री

इस उजड़े हुए और सुनसान कमरे में कल वह स्त्री बैठी थी, जिसे मेरा दिल प्यार करता है। इन गुलाबी, …

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दो काव्य

कई शताब्दियां बीत गईं, जब एथेन्स के राजमार्ग पर दो कवियों की भेंट हुई। दोनों एक-दूसरे को देखकर फूले न …

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दुःख के गीत

जनता के दुःख दांत की विकट पीड़ा के समान हैं और समाज के मुंह में ऐसे कई गले-सड़े तथा रोगी …

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प्रसाद

मधुप अभी किसलय शय्या पर, मकरंद मदिरा पान किए सो गए थे. सुंदरी के मुख मंडल पर प्रस्वेद बिंदु के …

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एक आँसू एक मुस्कान

अनेकों की प्रसन्नताओं से भी मैं अपनी मनोव्यथाओं को नहीं बदलूंगा और न मैं उन आंसुओं को, जो मेरे प्रत्येक …

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एक बहरी महिला

किसी धनी आदमी की एक युवती पत्नी थी, जो वज्र बधिर थी। एक दिन प्रातःकाल जब वे लोग नाश्ता कर …

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