विद्रोही आत्माएं
मैं जी उस इंसान की तबाही का अंदाजा करो जो किसी कुमारी के प्रेम में फंस जाए और उसे अपने …
मैं जी उस इंसान की तबाही का अंदाजा करो जो किसी कुमारी के प्रेम में फंस जाए और उसे अपने …
“आज तो भैया, मूंग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है. मैं तो…” …
“साईं! ओ साईं!!” एक लड़के ने पुकारा. साईं घूम पड़ा. उस ने देखा कि एक 8 वर्ष का बालक उसे …
दीर्घ निःश्वासों का क्रीड़ा स्थल, गरमगरम आंसुओं का फूटा हुआ पात्र! कराल काल की सारंगी, एक बुढ़िया का जीर्ण कंकाल, …
जनता के दुःख दांत की विकट पीड़ा के समान हैं और समाज के मुंह में ऐसे कई गले-सड़े तथा रोगी …
अनेकों की प्रसन्नताओं से भी मैं अपनी मनोव्यथाओं को नहीं बदलूंगा और न मैं उन आंसुओं को, जो मेरे प्रत्येक …
किसी धनी आदमी की एक युवती पत्नी थी, जो वज्र बधिर थी। एक दिन प्रातःकाल जब वे लोग नाश्ता कर …